मशाल सांस्कृतिक मंच एवं भगतसिंह छात्र
मोर्चा के द्वारा ( ३१ जुलाई ) प्रेमचंद्र जयंती के उपलक्ष में गीत ,
नुक्कड़ नाटक और सभा का आयोजन किया गया | जिसके तहत विभिन्न जगहों पर
रिहर्सल किया जा रहा है | उसी कड़ी में दिनांक १५ जुलाई २०१३ को बिहार ,जिला
:वैशाली के लालगंज क्षेत्र में कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया |
उसके बाद दिनांक १६ जुलाई २०१३ को २ बजे
से मजदूर किसान सभा के नेतृत्व में जिला :पूर्वी चम्पारन ,मोतिहारी प्रखंड
के देवाकुलिया चौक पर गीत एवं नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति कर रहे थे, तभी
वहाँ पर सीआरपीएफ. की कोबरा बटालियन ,एसटीऍफ़ ,एवं स्थानीय पुलिस से भरी
चार गाड़ी आ पहुची और चारो तरफ से हम लोंगों को घेर लिया गया |
हथियारों के साथ पोजीसन ले लिए
,हमारे कार्यक्रम को रोक दिया गया, गाली-गलौज करने लगे | देवकुलिया चौक
को दिन भर के लिए नाकेबंदी कर दी गयी और सभी गाड़ियों की तलासी ली जाने लगी |
हम लोगों से पूछताछ करने लगे की तुम लोग कौन हो?,यहाँ क्या करने आये
हो?,किसने बुलाया है?,क्या उद्देश्य है?,और कहा की तुम लोग माओवादी हो | हम
लोंगों ने बताया की हम मशाल सांस्कृतिक मंच बीएचयू. से है ,३१ जुलाई
प्रेमचंद्र की जयंती के अवसर पर विभिन्न जगहों पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन
किया है, हम सब बीएचयू. के छात्र है |आई डी.कार्ड भी दिखाए ,उसके बाद
हमारे बैगों की तलासी ली गयी | कुछ भी बरामद न होने पर हमें फेनहरा थाने ले
जाया गया|
जिसमे मजदूर किसान सभा: के सम्राट
अशोक ,हरेन्द्र तिवारी ,अवतार सिंह कुशवाहा ,पत्रकार :संजय कुमार( तलाश
पत्रिका ), मशाल सांस्कृतिक मंच: के जन गायक युद्धेश "बेमिशाल" ,रितेश
विद्यार्थी ,संतोष ,नमो नारायण ,रोहित ,शैलेश कुमार. और महिला विकास मंच:
की ममता देवी ,आदि लोग थे |
थाने में एएसपी :संजय कुमार सिंह के
नेतृत्व में थानाध्यक्ष: देवेन्द्र कुमार पाण्डेय , एसटीऍफ़ ,सीआरपीऍफ़ की
कोबरा बटालियन द्वारा हमसे पूछताछ की : पैसे कहा से मिलते है? ,यहाँ क्या
करने आये थे ?,किसने बुलाया था ? हमारे साथ घंटो पूछताछ ,गाली-गलौज और
डंडे लात-घुसे से मारा -पीटा गया , टार्चर किया गया , तथा कोबरा बटालियन
के कमान्डेंट ने मुर्गा बनाकर कमर पर डंडे से मारा |
वहाँ से रात 8 बजे चार गाड़ी कोबरा
बटालियन के साथ मुफस्सिल थाने में हम लोंगों से सेलफोन, बैग एवं सारे
सामानों को जब्त कर लिया गया और फिर मोतिहारी थाने ले जाया गया और जेल में
बंद कर दिया गया ,रात में खाना -पानी तक भी नहीं दिया गया तथा लैट्रीन
बाथरूम पर भी पाबन्दी लगा दी गयी | विभिन जन संगठनो ,पत्रकारों एवं
बुद्धिजीवियों आदि द्वारा दबाव बनाए जाने पर अगले दिन दिनांक : १७ जुलाई
२०१३ को ३ बजे जब हमारे ऊपर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ तो उन्हें हमें छोड़ना
पड़ा |
उत्तरी बिहार के पूरे ईलाके वैशाली
,पूर्वी चम्पारन ,मुजफ्फरपुर ,हाजीपुर को सीआरपीएफ ,पुलिस द्वारा गरीब
,पिछडों को माओवादी घोषित कर किसी को भी उग्रवादी ,माओवादी कह कर उठा ले
जाती है | वहां की जनता में भय का माहौल है और जनता सीआरपीएफ ,पुलिसिया दमन
से त्रस्त है ,वहां पर कोई भी छोटे-बड़े इस तरह के कार्यक्रम भी नहीं
करने दिया जाता है| सीआरपीएफ के सामने पुलिस की कुछ भी नहीं चलती है सब कुछ
सीआरपीएफ के निर्देश पर थाने की मदद से होता है |
( मोतिहारी के स्थानीय अखबार की खबर ) |