शनिवार, 9 नवंबर 2013

क्रन्तिकारी कवि धूमिल के ७७ वें जन्म-दिवस पर उनकी दो कविताएं |

रोटी और संसद           
धूमिल
जन्म: 09 नवंबर 1936
निधन: 10 फरवरी 1975
                                               

एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ--
'यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है। 

धूमिल की अन्तिम कविता

शब्द किस तरह
कविता बनते हैं
इसे देखो
अक्षरों के बीच गिरे हुए
आदमी को पढ़ो
क्या तुमने सुना कि यह
लोहे की आवाज़ है या
मिट्टी में गिरे हुए ख़ून
का रंग।

लोहे का स्वाद

लोहार से मत पूछो
घोड़े से पूछो
जिसके मुंह में लगाम है।