दलित, अल्पसंख्यक बस्तियों से गुजरती हुई नीले परों वाली एक लाल चिड़िया की याद आती है आज के दिन. सुनसान सड़कों पर उभरते जुलूस की शक्ल और तनी हुई मुट्ठियों का कोरस याद आता है. नजरों में फिर जाती है राजधानियों की कत्लगाहों की बेचारगियां और हवा में कारतूस की गंध. यादों में फड़फड़ाता है लाल माथे पर एक नीला रिबन.
विलास घोगरे. आप जानते हैं उन्हें.
आज से पंद्रह साल पहले मुंबई में भूमिहीन दलित, आदिवासी जनता के क्रांतिकारी गायक विलास घोगरे ने आत्महत्या कर ली थी. घोगरे ने भारतीय समाज के अर्धसामंती और अर्धऔपनिवेशिक शोषण में पिसते किसान मजदूर जनता के दुखों की कहानी ही नहीं कही, उसके बहादुराना संघर्ष की बेमिसाल दास्तान भी गाई है. और इस तरह गाई है कि इनको अलग-अलग नहीं किया जा सकता. घोगरे के यहां जहां भी दुख है, तकलीफ है, पीड़ा है, शोषण और उत्पीड़न है, वहां इसके खिलाफ संघर्ष भी है, निरंतर संघर्ष, राजनीतिक और कांतिकारी संघर्ष. वे शोषण और उत्पीड़न को बनाए रखने की एक प्रणाली के रूप में संसद और संसदीय चुनावों के अंतर्निहित जनविरोधी चरित्र को समझते हैं और इसको ध्वस्त करके समाज के क्रांतिकारी रूपांतरण का आह्वान करते हैं. वे सत्ता पर दलितों, आदिवासियों, भूमिहीन किसानों और मजदूरों का अधिकार चाहते हैं. घोगरे आह्वान से जुड़े हुए थे और उनका व्यापक सांस्कृतिक-राजनीतिक जुड़ाव गदर के नेतृत्व में चले सांस्कृतिक आंदोलन तथा देश के दूसरे इलाकों के क्रांतिकारी सांस्कृतिक परंपराओं से था. उन्होंने चुनाव और संसद के फंदे में जा फंसे बेईमान वामपंथी दलों के असली चरित्र को भी जनता के सामने रखा.
1997 में 11 जुलाई को जब मुंबई के घाटकोपर में दलितों-मुसलिमों की बस्ती रमाबाई नगर में बाबा साहेब की प्रतिमा का अपमान किए जाने के खिलाफ आक्रोशित दलितों पर पुलिस ने फायरिंग की और दस से अधिक लोग शहीद हुए, तो उसी बस्ती में रहने और राजनीतिक काम करने वाले घोगरे इस वेदना को बरदाश्त नहीं कर पाए. उन्होंने 15 जुलाई को आत्महत्या कर ली.
यहां उनको याद करते हुए उनके कुछ मशहूर गीत प्रस्तुत हैं. घोगरे को आज के समय में याद करने का मतलब उन सारे संस्कृतिकर्मियों, लेखकों, पत्रकारों की हिमायत में उठ खड़े होना है, जो घोगरे की जनपक्षधर क्रांतिकारी गतिविधियों के राजनीतिक हमसफर हैं. घोगरे को याद करने का मतलब सुधीर ढवले, सीमा आजाद, विश्वविजय, अभिज्ञान सरकार, देबोलीना, कबीर कला मंच के साथियों, उत्पल और दूसरे दर्जनों कार्यकर्ताओं की हिमायत में अपनी आवाज बुलंद करना है, जो दलित, आदिवासी जनता के संघर्षों का साथ देने और सत्ता प्रतिष्ठानों का विरोध करने की वजह से अलग-अलग जगहों पर जेलों में बंद हैं.
हाल ही में फिल्मकार आनंद पटवर्धन ने जय भीम कॉमरेड के नाम से एक लंबी फिल्म बनाई है, जो विलास घोगरे को याद करते हुए, उनको केंद्र में रखते हुए भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक दलित आंदोलनों के विभिन्न आयामों का जायजा लेती है. इसे जरूर देखा जाना चाहिए. डीवीडी के रूप में यह फिल्म उपलब्ध है और इसे हासिल करने के तरीके के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें. घोगरे को याद करते हुए हेई पी. न्यूटन द्वारा क्रांतिकारी आत्महत्या पर लिखा गया यह लेख भी पढ़ें.
ये आजादी झूठी है
ये आजादी झूठी है
ये आजादी झूठी है
लुटेरों की चांदी है
ये आजादी झूठी है
लुटेरों की चांदी है
साथियो लूट को मिटाना है
साथियो जुल्म को मिटाना है
रोटी है तो सब्जी नहीं
सब्जी है तो रोटी नहीं
शेर नन्हे – मुन्ने भी भूख से तड़पते हैं
साथियो पास कोई सिक्का नहीं
साथियो रोने को भी कोई आस नहीं
ये आजादी झूठी है
लुटेरों की चांदी है
कभी भी आराम नहीं
मेहनत का दाम नहीं
रात दिन उगाते हो मिट्टी से सोना तुम
साथियो खाने को दाना एक मुट्ठी नहीं
साथियो जीवनभर छुट्टी नहीं
ये आजादी झूठी है
लुटेरों की चांदी है
नाले सब साफ किये
जिंदगी अछूत हुई
ये सफेदपोश हुए
तेरी उम्र धूल हुई
साथियो नाली तेरी गंगा है
साथियो झोपड़ी हैं शीशमहल
ये आजादी झूठी है
लुटेरों की चांदी है
बच्चा बीमार पड़ा है
लेके अस्पताल चले
कोई नहीं सुनता है घूस दिए, पैर पड़े
घूस लेने को भी कर्जा लिया
साथियो गोली है तो सुई नहीं
साथियो सुई है तो गोली नहीं
ये आजादी झूठी है
लुटेरों की चांदी है
पहली से पढ़ा हुआ लड़का बेकार हुआ
नौकरी तलाशी तो दर दर ठोकर खाई
मिनिस्टर के बेटे ने बैठे बिठाई पाई
साथियो पढाई का ऐसा हाल
साथियो बुद्धू हैं मालामाल
आ गया इलेक्शन नेताजी आये हैं
दिल तो पूरा नहीं है
टोपी बदल लाये हैं
तुमसे हाथ जोड़ रहे
हाल चाल पूछ रहे
मीठी मीठी बात करें
वादो से घात करें
साथियो वोट तेरा लूट लिया
साथियो गद्दी पर बैठ गया
ये आजादी झूठी है
लुटेरों की चांदी है
रो रो के जीने से
घुट घुट के मरने से
सिर्फ़ वोट देने से
अपना वोट लेने से
चोरो को उठाने से
मिटता ये जुल्म नहीं
मिटती ये भूख नहीं
साथियो जुल्म अगर मिटाना है
साथियो लूट अगर मिटानी है
साथियो इनकलाब लाना है
साथियो इनकलाब लाना हैं
ये आजादी झूठी है
लुटेरों की चांदी है
ये आजादी झूठी है
लुटेरों की चांदी है
भारत अपनी महान भूमि
भारत अपनी महान भूमि इसकी कहानी सुनो रे भाई
भारत अपनी महान भूमि
इसकी कहानी सुनो रे भाई
सर पे खड़ा है बड़ा हिमालय
नदिया बहती गंगा, जमुना,
ब्रह्मपुत्रा, गोदावरी, कृष्णा
हरीभरी धरती पर अपने
निकले मोती उगले सोना
चीजों से भंडार भरा है
अनाज से गोदाम भरा है
पर घर मैं मेहमान आये तो
साथ उसी के भूखा सोना
आर्ररेरेरेरेरे रा रा हा
सुजलाम सुफलाम इसी देश में
रोटी महंगी क्यों रे भाई
भारत अपनी महान भूमि
इसकी कहानी सुनो रे भाई
रुपये में जब अस्सी पैसा
खेती पे करते हैं भरोसा
खेती का पानी पे है भरोसा
पानी का बादल पे भरोसा
और गंगाजल पे है भरोसा
बैल, खाद और नहर की चाबी
सभी बड़ों के हाथ में आयी
आर्ररेरेरेरेरे रा रा हा
खेती प्रमुख इस भारत भू में
किसान भूखा क्यों रे भाई
खेती प्रमुख इस भारत भू में
किसान भूखा क्यों रे भाई
कोठे में जलती है बिजली,
तुम्हें बताऊं कैसे निकली
मजदूर के नसलों से भाई
लंबी चौड़ी तार बनाई
मसल से पलक बनाया
पलकों पे बलब बनाया
बटन दबाओ करो उजाला
मजदूर झेले खून की ज्वाला
आर्ररेरेरेरेरे रा रा हा
जग को उजाला देनेवाला
अंधेरे में क्यों रे भाई
जग को उजाला देनेवाला
अंधेरे में क्यों रे भाई
यहां गाय की होती पूजा
कुत्ते को घर का दरवाजा
बिल्ली को चूल्हे तक आजा
गोमूत्र को पवित्र समझे
गोबर से आंगन को सजाता
मानव बनाये चप्पल जूता
गोबर उठाता, गाय चराता
धार निकाले गाय भैंस की
दूध निकाले पीने देता
वही पीये और जाये अखाड़ा
हिन्द केसरी भी कहलाता
आर्ररेरेरेरेरे रा रा हा
मानव को जो उठाये
वो अछूत कैसा रे भाई
मानव को जो उठाये
वो अछूत कैसा रे भाई
यहां की नारी बनी देवता
सती सावित्री राम की सीता
यहां की नारी बनी देवता
सती सावित्री राम की सीता
रानी अहिल्या हिम्मत वाली
रानी लक्ष्मी झांसी वाली
कोई कहेगा दिल्ली वाली
इंद्र की इस कर्मभूमि पर
इंद्र की इस धर्मभूमि पर
नारी पे क्या क्या ना गुजरी
आर्ररेरेरेरेरे रा रा हा
बच्चों की रोटी के वास्ते
शरीर बेचे क्यों रे भाई
बच्चों की रोटी के वास्ते
शरीर बेचे क्यों रे भाई
ऐसे अपनी कर्मभूमि के
लीडर कैसे कैसे देखो
हिन्दुराष्ट्र के अटल बिहारी
किसानपुत्र चरण चौधरी
साथ में इनके मोरारजीभाई
लाखों रुपये का चुनाव लड़कर
जगजीवन बने दलित लीडर
तेलगू देस का एनटीआर तो
कॉसमीशन में प्रभु बना है
नाग की कुन्डी बनाकर
इनकम टैक्स दबा बैठा है
ये साले सब सफेद हाथी
गुन्डा मवाली इनके साथी
ये गरिबों की क्या सोचेंगे
इसने कभी ना मेहनत देखी
शेर हिरण को मार ही देगा
कसाई बकरा नही छोड़ेगा
जबकि लीडर शेर कसाई
हम बकरों को क्या छोड़ेगा
आर्ररेरेरेरेरे रा रा हा
छुपा हुआ शैतान मिलेगा इनकी टोपी में रे भाई
राज गरीब का लानेवाले
इनकलाब चिल्लाने वाले
सीपीएम के ज्योति बसु
राजा बना घूमता फिरता है
मार्क्सवाद का खून करें वो
मार्क्सवाद कहते रे भाई
सर्वहारा के नाम पे सारे
मालदार बन गये रे भाई
जमीन के लिए लड़ने वाले
बन्धू अपने नक्सल भाई
हाथों में हथियार थमा दिया रे
आर्ररेरेरेरेरे रा रा हा
कांग्रेस की सरकार यहां पर
सारा वक्त सत्ता के बराबर
गरीबी हटाओ का नारा लगाकर
गरीब को लुटा है बराबर
एशियाड में रुपया गंवाया
और जनता पर टैक्स चढ़ाया
बढ़ी अमीरी बढ़ी गरीबी
टाटा, बिरला खूब कमाया
जमीन के लिए लड़ने वाले
बन्धू अपने नक्सल भाई
हाथों में हथियार थमा दिया रे
आर्ररेरेरेरेरे रा रा हा
अरे शैतानों को मिली आजादी
हमें किया बरबाद रे भाई
अरे शैतानों को मिली आजादी
हमें किया बरबाद रे भाई
दुनिया के बाजार में भाई
रशिया अमरीका बड़े सेठ हैं
युद्धसामग्री बनानेवाले
छोटे देश को लड़ानेवाले
खुद ही आपस मैं लड़ मरते हैं
अपना देश दोनों के हाथ में
राजु, राज उनके ही साथ में
जो भी था रशिया ले गया
बाकी बचा अमरीका खा गया
जमीन के लिए लड़ने वाले
बन्धू अपने नक्सल भाई
हाथों में हथियार थमा दिया रे
आर्ररेरेरेरेरे रा रा हा
हमारे लिए छोड़ दिया है
नंगा भूखा भारत भाई
हमारे लिए छोड़ दिया है
नंगा भूखा भारत भाई
ये है कहानी मेरी तुम्हारी
नहीं किसी की बनी बनाई
सदियों से सुना है हरा रंग भरा
अबके हाथ में आया है मौका
अबकी लोहा लाल हुआ है
जोरदार ही लगा दो ठोका
पाना है मजदूर मुक्ति को
रोकना है शोषण शक्ति को
मजदूर के शासन के वास्ते
अब तो जागना पड़ेगा भाई
मजदूर के शासन के वास्ते
हाथ में हथियार होना भाई
हाथ में हथियार होना भाई
हाथ में हथियार होना भाई
(गदर के मूल तेलुगू गीत का हिंदी रूपांतरण विलास घोगरे ने किया था)
हिसाब कर ले
क्या खोया क्या पाया जिंदगी में हिसाब कर ले
क्या खोया क्या पाया जिंदगी में
हिसाब कर ले
क्या खोया क्या पाया जिंदगी में
हिसाब कर ले
जनम मिला है दु:ख में
जीना – मरना भी दु:ख में
जनम मिला है दु:ख में
जीना – मरना भी दु:ख में
क्यों ना सुख को अपनाया जिंदगी में
हिसाब कर ले
क्या खोया क्या पाया जिंदगी में
हिसाब कर ले
दुनिया की हर चीज बनाई तूने
दुनिया की रौनक बढ़ाई तूने
सदियों से खून पसीना बहाकर
दुनिया की ठोकर खाई तूने
मेहनत करके रोटी को तरसा है तू
मेहनत करके रोटी को तरसा है तू
नंगे फकीर की दुनिया में अरसा है तू
जो तेरी मेहनत पे रहता है शीश महल में
जो तेरी मेहनत पे रहता है शीश महल में
क्यों ना अब तक ठुकराया जिंदगी में
हिसाब कर ले
क्या खोया क्या पाया जिंदगी में
हिसाब कर ले
कल का दिन तेरा है यकीनन है
पर फसा है तू आपस के झगड़े में
वरना विजय तुझको मुमकिन है
लाल झंडे तले तुझे आना होगा
इनकलाब का गीत भी गाना होगा
इतिहास में पता है
मजदूर ही पिता है
अब की खुद को फर्माया जिंदगी में
हिसाब कर ले
क्या खोया क्या पाया जिंदगी में
हिसाब कर ले
क्या खोया क्या पाया जिंदगी में
हिसाब कर ले
जनम मिला है दु:ख में
जीना – मरना भी दु:ख में
जनम मिला है दु:ख में
जीना – मरना भी दु:ख में
क्यों ना सुख को अपनाया जिंदगी में
हिसाब कर ले।
एक कथा सुनो रे लोगो
आनंद पटवर्धन की फिल्म मुंबई हमारा शहर का अंश जिसके लिए घोगरे ने यह गीत गाया था
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें