इस सत्र के मुख्य वक्ता कँवल भारती ने वर्तमान व्यवस्था में दलित की उपेक्षा क्रन्तिकारी विचार रखा . कहा की दलित चिंतन ,चिंतन का तीसरा स्कूल है .और आज दलित ,दलित मुद्दे पर ही नहीं वह साम्राज्यवाद ,पूजीवाद ,एवं किसी भी मुद्दे पर बोल सकते है।
अपने अध्यक्षीय व्यक्तव्य में चौथीराम यादव ने कहा कबीर अपने समय में मुल्लाओ एवं पंडितो से जबरदस्त टक्कर ली ,और मेहनतकस जनता से कहा की इनसे दूर रहे।
आखिरी सत्र में मुख्य अतिथि तुलसी राम ने कहा की ऋग्वेद धार्मिक ग्रन्थ न होकर उस समय के सामाजिक जीवन के दस्तावेज है .,जिसमे स्पस्ट तौर पर लिखा है की हम अग्नि की पूजा इसलिय करते है क्योकि वह हमारे दुश्मनों को जलाने का काम करती है , गौतम बुद्ध कैसे अपने तर्कों द्वारा ब्राह्मणवाद की धज्जियाँ उडाई .,उनके वर्ण व्यवस्था पर प्रहार किया इसे बहुत ही रोचक तरीके से बताया .. अंत में दर्शन विभाग के प्रो . पि0 बागड़े ने कहा आंबेडकर और मार्क्स को ही साथ लेकर भारत में कोई भी आगामी सामाजिक परिवर्तन का कार्य किया जा सकता है।
जय भीम कामरेड !
-शैलेश कुमार
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