अगले सत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रतिरोध की पत्रिकाएं पर विचार गोष्ठी हुई।जिसके मुख्या वक्ता और अतिथि प्रसिद्ध कवि नीलाभ  और
 समकालीन तीसरी दुनियाँ  के संपादक आनंद स्वरुप वर्मा थे। लेकिन दोनों लोग 
किन्ही कारणों से नहीं आ सके उन्होंने अपने लिखित व्यक्तव्य ई -मेल से भेजा
 जिसका पाठ संध्यां निवोदिता और रितेश विद्यार्थी ने किया। उनकी बाते 
वर्त्तमान व्यवस्था की नीतियों से उत्पन्न समस्याए और जन पक्षधर पत्रिकाओ 
की भूमिका पर केन्द्रित थी। इसके बाद इलाहबाद के नामचीन बुद्धिजीवियों ने 
दिल्ली सामूहिक रेप केस पर सरकार को दोषी ठहराते हुए इसकी कड़ी शब्दों में 
निंदा की और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं प्रतिरोध की पत्रिकाओं पर 
अपने-अपने व्यक्तव्य दिए।जिसमे मुख्य रूप से राजेंद्र कुमार ,जिया -उल और रवि किरण जैन थे।
कार्यक्रम का संचालन ''दस्तक '' पत्रिका की संपादक सीमा आज़ाद ने किया। 
             -विनोद शंकर  
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें