वनाधिकार: नहीं दे पा रहा है आदिवासियों और परम्परागत वन वासियों को संरक्षण
चन्दौली जिले के नौगढ़ विकास खण्ड पर 14 अगस्त 2012 को धरना- मजदूर किसान मोर्चा
सरकार हो या पूंजीवादी ताकते, इन्होंने कभी भी दलितों और आदिवासियों को उनका हक नहीं देना चाह है ? परन्तु जनाक्रोश को दबाने के लिये इनके हक को दर्शाने वाले कानून तों बना दिये जाते है लेकिन इनके सही क्रियान्वयन न करने कि निरंतर प्रक्रिया के चलते ऐसे कानूनों का थोड़ा लाभ देकर इन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. ठिक इस तरह कि दोगली सोच के साथ लागू हुआ वनाधिकार कानून 2006 की असिलियत अब जगजाहिर होने लगी हैं. आज हम देखते है कि दलितों, परम्परागत वन वासियों और आदिवासियों को इस कानून का सही मायने में लाभ नहीं मिल पा रहा है. उत्तर प्रदेश के चन्दोंली जिले में संघर्षरत मजदूर किसान मोर्चा की रिपोर्ट-
आजादी के 65 वर्ष बाद चन्दौली जिले का नौगढ़ ब्लाक आज भी गुलाम है संविधान में सभी नागरिकों को समान रुप से जीने का अधिकार दिया गया है लेकिन नौगढ़ में आज भी दोयम दर्जे की स्थिति बरकरार है। वनाधिकार कानून को लागू करते हुए सरकार ने कहा था कि जंगल पर निर्भर लोगों के साथ लम्बे समय से नाइंसाफी हो रही हैं जिसकों कम करने के लिए वनाधिकार अधिनियम 2006 को लागू किया गया परन्तु वनाधिकार अधिनियम 2006, लम्बे संघर्ष के बाद 2009 में चन्दौली जिले में लागू किया गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें